बिग ब्रेकिंग–पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के वीडियो से हलचल !! तेजी से हो रहा वायरल !!
फिर एक बार सुर्खियों में तीरथ सिंह रावत का बयान....
पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश की नौकरशाही पर करारा हमला बोला है ...
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पौड़ी सांसद तीरथ सिंह रावत एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। मसूरी में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने प्रदेश की नौकरशाही पर करारा हमला बोला और राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार पर तीखी टिप्पणी की। रावत ने कहा, "उत्तराखंड बनने के बाद भी भ्रष्टाचार का ट्रक उसी रफ्तार से चल रहा है, फर्क बस इतना है कि अब ड्राइवर और यात्री दोनों यहीं के हो गए हैं।"
क्या बोले तीरथ सिंह रावत?
मसूरी में आयोजित एक कार्यक्रम में तीरथ सिंह रावत ने नौकरशाही और प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य के गठन के पीछे जो सपने थे, वे आज भी अधूरे हैं। "जिन सपनों के लिए उत्तराखंड बना था, वो उत्तराखंड अब भी नहीं बन पाया है। भ्रष्टाचार अब भी बदस्तूर जारी है, और यह व्यवस्था की जड़ों में गहरे तक पैठ चुका है," रावत ने तल्ख अंदाज में कहा। उनके इस बयान ने न केवल सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर तीखी बहस छिड़ गई है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
रावत के इस बयान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खूब चर्चा बटोरी है। कई यूजर्स ने उनके बयान का समर्थन करते हुए कहा कि यह सच है कि उत्तराखंड में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या बनी हुई है। वहीं, कुछ यूजर्स ने उनके बयान को सियासी स्टंट करार देते हुए कहा कि वह केवल सुर्खियां बटोरने की कोशिश कर रहे हैं।
तीरथ सिंह रावत और उनके विवादित बयान
यह कोई पहली बार नहीं है जब तीरथ सिंह रावत अपने बयानों के कारण चर्चा में आए हों। इससे पहले 2021 में उनके "फटी जींस" वाले बयान ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं, जिसमें उन्होंने जींस को संस्कारों से जोड़कर विवाद खड़ा कर दिया था। इसके अलावा, कुंभ मेले और अन्य मुद्दों पर उनके बयानों ने भी सोशल मीडिया पर बहस छेड़ी थी। इस बार नौकरशाही और भ्रष्टाचार पर उनकी टिप्पणी ने एक बार फिर उन्हें सुर्खियों में ला दिया है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
रावत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब उत्तराखंड में प्रशासनिक सुधार और भ्रष्टाचार पर लगाम कसने की बातें जोरों पर हैं। उनके इस बयान से सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर भी असहजता पैदा हो सकती है, क्योंकि यह नौकरशाही के साथ-साथ सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाता है। विपक्षी दलों ने इस बयान को हाथों-हाथ लिया है और इसे सरकार की नाकामी के सबूत के तौर पर पेश करना शुरू कर दिया है।
तीरथ सिंह रावत के इस बयान के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और नौकरशाही की ओर से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है। क्या यह बयान उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाने की दिशा में ले जाएगा, या फिर यह एक और सियासी बयानबाजी बनकर रह जाएगा? फिलहाल, सोशल मीडिया पर यह मुद्दा गरमाया हुआ है, और लोग इस पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं।
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