1भाजपा विधायकों की बयानबाजी पर प्रदेश अध्यक्ष ने दिखाई सख्ती,
कहा पार्टी प्लेटफार्म से बाहर न करें बयानबाजी
हाल के दिनों में, उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ विधायकों की नाराजगी और असंतोष सोशल मीडिया के माध्यम से और सार्वजनिक बयानों के जरिए सामने आ रहा है, जिसने पार्टी के भीतर अनुशासन और एकता को लेकर सवाल खड़े किए हैं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए सभी नेताओं और विधायकों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पार्टी से संबंधित किसी भी मुद्दे पर सार्वजनिक बयानबाजी या सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने के बजाय, वे अपनी बात पार्टी के आंतरिक मंचों पर ही रखें। भट्ट ने यह भी चेतावनी दी कि इस तरह की अनधिकृत बयानबाजी को अनुशासनहीनता माना जाएगा और इसके खिलाफ पार्टी सख्त कार्रवाई करेगी।
महेंद्र भट्ट ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि कोई विधायक या दायित्वधारी संगठन से जुड़े किसी विषय पर चर्चा करना चाहता है, तो उसे सीधे प्रदेश अध्यक्ष से संपर्क करना चाहिए। वहीं, यदि कोई मुद्दा सरकार के कार्यों से संबंधित है, तो उसकी चर्चा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ की जानी चाहिए। भट्ट ने जोर देकर कहा कि सोशल मीडिया या समाचार पत्रों के माध्यम से सार्वजनिक रूप से बयान देना न केवल पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह संगठन के सिद्धांतों—राष्ट्र पहले, पार्टी दूसरा और व्यक्ति अंत में—के खिलाफ भी है। उन्होंने यह भी बताया कि इस संबंध में कुछ विधायकों, विशेष रूप से अरविंद पांडे और बिशन सिंह चुफाल, से बातचीत की गई है और उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सभी मुद्दों को पार्टी मंच पर ही उठाया जाए।
यह पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड भाजपा में सोशल मीडिया या बयानों के जरिए असंतोष सामने आया है। उदाहरण के लिए, अगस्त 2023 में यमकेश्वर की विधायक रेनू बिष्ट का एक सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हुआ था, जिसके लिए महेंद्र भट्ट ने उनसे जवाब मांगा था। इससे पता चलता है कि पार्टी लंबे समय से अपने नेताओं और विधायकों को अनुशासित रखने के लिए प्रयासरत है।
इस तरह की घटनाएं भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं, खासकर 2027 में होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनावों से पहले। भट्ट का दोबारा निर्विरोध अध्यक्ष चुना जाना और उनकी सख्ती इस बात का संकेत है कि पार्टी संगठन को मजबूत करने और आंतरिक एकता को बनाए रखने के लिए गंभीर है।
महेंद्र भट्ट ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि कोई विधायक या दायित्वधारी संगठन से जुड़े किसी विषय पर चर्चा करना चाहता है, तो उसे सीधे प्रदेश अध्यक्ष से संपर्क करना चाहिए। वहीं, यदि कोई मुद्दा सरकार के कार्यों से संबंधित है, तो उसकी चर्चा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ की जानी चाहिए। भट्ट ने जोर देकर कहा कि सोशल मीडिया या समाचार पत्रों के माध्यम से सार्वजनिक रूप से बयान देना न केवल पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह संगठन के सिद्धांतों—राष्ट्र पहले, पार्टी दूसरा और व्यक्ति अंत में—के खिलाफ भी है। उन्होंने यह भी बताया कि इस संबंध में कुछ विधायकों, विशेष रूप से अरविंद पांडे और बिशन सिंह चुफाल, से बातचीत की गई है और उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सभी मुद्दों को पार्टी मंच पर ही उठाया जाए।
यह पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड भाजपा में सोशल मीडिया या बयानों के जरिए असंतोष सामने आया है। उदाहरण के लिए, अगस्त 2023 में यमकेश्वर की विधायक रेनू बिष्ट का एक सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हुआ था, जिसके लिए महेंद्र भट्ट ने उनसे जवाब मांगा था। इससे पता चलता है कि पार्टी लंबे समय से अपने नेताओं और विधायकों को अनुशासित रखने के लिए प्रयासरत है।
इस तरह की घटनाएं भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं, खासकर 2027 में होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनावों से पहले। भट्ट का दोबारा निर्विरोध अध्यक्ष चुना जाना और उनकी सख्ती इस बात का संकेत है कि पार्टी संगठन को मजबूत करने और आंतरिक एकता को बनाए रखने के लिए गंभीर है।
0 Comments