Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली: मां और नवजात की मौत, संसाधनों की कमी बनी कारण

 गैरसैंण में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली: मां और नवजात की मौत, संसाधनों की कमी बनी कारण



पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की जर्जर स्थिति किसी से छिपी नहीं है। भले ही उत्तराखंड सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के बड़े-बड़े दावे करे, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में पहचाने जाने वाले गैरसैंण का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आज केवल एक रेफरल सेंटर बनकर रह गया है। मरीजों को बार-बार गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी ने एक बार फिर दो जिंदगियों को लील लिया।  


हालांकि गैरसैंण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को उपजिला चिकित्सालय का दर्जा दिया गया है, और प्रदेश की भाजपा सरकार व स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत इसे अपनी उपलब्धि बताते हैं, लेकिन हकीकत में यह अस्पताल विशेषज्ञ चिकित्सकों और आवश्यक संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। यह दर्जा केवल कागजी साबित हो रहा है, क्योंकि बार-बार गर्भवती महिलाओं को अपर्याप्त सुविधाओं के कारण जान गंवानी पड़ रही है।  


गैरसैंण विकासखंड के सुदूर गांव फुल ढुंगी तल्ला (घंडियाल) की निवासी सुशीला देवी (उम्र लगभग 25 वर्ष) को प्रसव पीड़ा होने पर उनके परिजन उन्हें सुरक्षित प्रसव के लिए गैरसैंण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। परिजनों को उम्मीद थी कि उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा मिलेगी, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि यह उम्मीद उनकी सबसे बड़ी त्रासदी बन जाएगी।  


जानकारी के मुताबिक, सुशीला को प्रसव के लिए अस्पताल लाया गया, जहां चिकित्सकों ने प्रसव कराया। सुशीला ने एक नवजात को जन्म दिया, लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा मृत पैदा हुआ था। इस दुखद खबर को सुनने के बाद सुशीला की हालत बिगड़ने लगी। डॉक्टरों ने तुरंत प्राथमिक उपचार शुरू किया और स्थिति बिगड़ते देख उसे उच्च चिकित्सा केंद्र के लिए रेफर कर दिया। लेकिन रास्ते में ही सुशीला ने भी दम तोड़ दिया। इस घटना से पूरे क्षेत्र में शोक और आक्रोश फैल गया है।  


मृतका सुशीला के पति अंकित नेगी भारतीय सेना में कार्यरत हैं और वर्तमान में कारगिल में तैनात हैं। सुशीला की सास और वृद्ध सास अपनी बहू और नवजात पोते की मौत की खबर सुनकर गहरे सदमे में हैं और उनका रो-रोकर बुरा हाल है। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की लचर स्थिति के खिलाफ गुस्सा भड़का दिया है।  


इस मामले पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अर्जुन रावत ने बताया कि सुशीला का प्रसव चिकित्सकों की देखरेख में कराया गया था, लेकिन नवजात मृत पैदा हुआ। सुशीला शुरुआत में सामान्य थी और परिजनों से बातचीत कर रही थी। लेकिन मृत बच्चे की खबर सुनने के बाद उसे गहरा मानसिक आघात लगा, जिससे उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। प्राथमिक उपचार के बाद उसकी स्थिति में कुछ सुधार हुआ, लेकिन दोबारा तबीयत खराब होने पर उसे उच्च केंद्र के लिए रेफर किया गया।  


यह घटना गैरसैंण ही नहीं, बल्कि पूरे पहाड़ी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को उजागर करती है।

Post a Comment

0 Comments