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उत्तराखंड बना देश का पहला राज्य जहाँ समाप्त होगा मदरसा बोर्ड, राज्यपाल ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक को दी मंजूरी

 उत्तराखंड बना देश का पहला राज्य जहाँ समाप्त होगा मदरसा बोर्ड, राज्यपाल ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक को दी मंजूरी



देहरादून | 07 अक्टूबर 2025

उत्तराखंड में शिक्षा सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) ने ‘उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक, 2025’ को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक के लागू होते ही राज्य का मदरसा बोर्ड समाप्त हो जाएगा।

🔹 अब कैसे चलेगा मदरसों का संचालन

  • प्रदेश के सभी मदरसों को अब उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त करनी होगी।

  • सभी अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (उत्तराखंड बोर्ड) से संबद्धता लेनी होगी।

  • इन संस्थानों में वही शैक्षणिक मानक लागू होंगे जो राज्य के अन्य विद्यालयों में हैं।

🔹 शिक्षा व्यवस्था में समानता और आधुनिकीकरण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले को राज्य की शिक्षा व्यवस्था में समानता और आधुनिकीकरण की दिशा में “ऐतिहासिक कदम” बताया।
उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य है —

“प्रदेश का हर बच्चा, चाहे वह किसी भी वर्ग या समुदाय का हो, समान शिक्षा और समान अवसरों के साथ आगे बढ़े।”

🔹 नई शिक्षा नीति और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम लागू

  • जुलाई 2026 सत्र से सभी अल्पसंख्यक विद्यालयों में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम (NCF) और नई शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत शिक्षा दी जाएगी।

  • इससे छात्रों को मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बनने में आसानी होगी और उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में समान अवसर मिलेंगे।

🔹 उत्तराखंड का राष्ट्रीय स्तर पर विशेष स्थान

इस कदम के साथ उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने मदरसा बोर्ड को समाप्त कर अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों को मुख्यधारा की शिक्षा व्यवस्था से जोड़ा है।
राज्य सरकार का मानना है कि यह सुधार न केवल शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाएगा, बल्कि युवाओं को आधुनिक विषयों, तकनीकी शिक्षा और राष्ट्रीय एकता से भी जोड़ेगा।


निष्कर्ष:
उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय राज्य की शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव लाने वाला साबित हो सकता है। इससे धार्मिक शिक्षा संस्थान अब आधुनिक और समान शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा बनेंगे, जिससे आने वाले वर्षों में राज्य के अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों के लिए नए अवसरों के द्वार खुलेंगे।

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