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पलायन की मार झेल रहा रुद्रप्रयाग का ये गांव , अंतिम संस्कार के लिए दूसरे गांव से बुलाने पड़े लोग-

 पलायन की मार झेल रहा रुद्रप्रयाग का ये गांव , अंतिम संस्कार के लिए दूसरे गांव से बुलाने पड़े लोग-



रुद्रप्रयाग जिले के कांडई ब्लॉक का ल्वेढ़ गांव अब लगभग सुनसान हो गया है। कभी यहाँ 15-16 परिवारों का बसेरा था, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव और कठिन जीवन परिस्थितियों के कारण अधिकांश लोग पलायन कर चुके हैं। वर्तमान में गाँव में केवल तीन महिलाएं और एक पुरुष रह गए हैं।


गांव की यह दुर्दशा हाल ही में तब उजागर हुई, जब 90 वर्षीय सीता देवी की मृत्यु हो गई। वृद्धा का बेटा मानसिक रूप से कमजोर है और गांव में अन्य कोई पुरुष मौजूद नहीं था, जिसके कारण मृतक का शव घाट तक ले जाने और अंतिम संस्कार में बड़ी कठिनाई हुई। सूचना मिलते ही आसपास के कलेथ, पांढरा मड़गांव और मलछोड़ा जैसे गांवों से ग्रामीण पहुंचे और अगले दिन ही वृद्धा का अंतिम संस्कार कराया गया।


गांव की अव्यवस्थित स्थिति की वजह से ल्वेढ़ तक पहुंचना भी बेहद कठिन है। रास्ते झाड़ियों और खराब मार्गों से भरे हैं, और अब तक यह गांव सड़क से जुड़ा नहीं है। पेयजल की समस्या भी बनी हुई है। स्कूल दो से चार किलोमीटर दूर हैं और स्वास्थ्य सेवाएं भी पहुंच से बाहर हैं।
इस मामले को संज्ञान में लेते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम कठैत ने बताया कि ल्वेढ़ तक सड़क और पुल निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। विधायक भरत सिंह चौधरी ने कहा कि मरछोला तक सड़क बन जाने से ल्वेढ़ की पैदल दूरी कम हो जाएगी और गांव को सड़क से जोड़ने के लिए आवश्यक सभी प्रयास किए जाएंगे।


ग्राम प्रधान संजय पांडे ने बताया कि प्रशासन ने पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था कर दी है और जल्द ही स्थायी व्यवस्था भी कर दी जाएगी। ग्रामीणों ने उम्मीद जताई कि इन विकास कार्यों से ल्वेढ़ की स्थिति सुधरेगी और बचे हुए निवासियों का जीवन आसान होगा।


यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन और मूलभूत सुविधाओं की कमी की वास्तविक चुनौती को उजागर करती है, जहाँ बुजुर्गों और कमजोर परिवारों के लिए जीवन और मृत्यु की घटनाएं भी संघर्षपूर्ण हो जाती हैं।

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