लेकिन अनुराग सिंह रावत ने अपनी हिम्मत और जुनून से यह धारणा तोड़ दी।
ये कहानी है मूल रूप से पौड़ी के रहने वाले अनुराग रावत की
देश के पहले Cerebral Palsy योद्धा अनुराग रावत ने 12,000 फ़ीट की ऊँचाई पर मैराथन पूरी कर इतिहास
रच दिया। सेरेब्रल पाल्सी जैसी चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने साहस और दृढ़ निश्चय से यह
अनोखी उपलब्धि हासिल की। यह सिर्फ़ एक मैराथन नहीं, बल्कि हिम्मत, जुनून और जज़्बे
की सच्ची मिसाल है। अनुराग ने साबित किया कि असली ताक़त शरीर में नहीं, बल्कि हौसले और
विश्वास में होती है। उनकी यह जीत हम सबको याद दिलाती है—सीमाएँ सिर्फ़ मन
में होती हैं।
दरअसल अनुराग का बचपन से ही सपना था पिता की तरह आर्मी में जाना, पर किस्मत ने अलग राह
चुनी। जन्म के दो साल बाद सेरेब्रल पाल्सी हो गया, कई स्कूलों ने प्रवेश देने से मना किया और 8वीं कक्षा के बाद पढ़ाई भी छूट गई।
फिर
भी अनुराग ने हार नहीं मानी। उन्होंने फिटनेस को अपनाया और सोशल मीडिया पर अपनी
जर्नी साझा करनी शुरू की। जिम में पसीना बहाना हो या मैराथन दौड़ना—उन्होंने हर चुनौती को अवसर बनाया। धीरे-धीरे 10 किमी दौड़ पूरी कर अनोखा रिकॉर्ड बनाया।
उनकी
लगन देखकर आर्मी वेटरन्स ने उन्हें सपोर्ट किया और वे CLAW Global से जुड़ गए। उन्होंने रॉयल एनफ़ील्ड पर बाइक
अभियान किया और अब स्काइडाइविंग व स्कूबा डाइविंग की तैयारी में हैं। साथ ही वे
कवि, लेखक और व्हीलचेयर बास्केटबॉल खिलाड़ी भी हैं।
0 Comments